सोमवार, 11 मई 2009

पणीश्वर तीर्थ फल्कीवन (फल्गु)




फल्गु तीर्थ से दो किलोमीटर दूरी पर स्थित पणीश्वर तीर्थ है। महाभारत में इस नाम से किसी तीर्थ का वर्णन प्राप्त नहीं होता। परन्तु महाभारत के अनुशासन पर्व के दसवें अध्याय में पाणिखात के नाम से एक तीर्थ उल्लेख हैं जिसके बारे में धारणा है कि वही पाणिखात पणीश्वर है। पाणिखात के विषय में एक स्थान पर वर्णित है-
‘पाणिखातं मिश्रकं च मधुवटमनोजवौ।’
(ब्रह्मा पुराण: 25/42)
इस तीर्थ में स्नान करने के पुण्य के विषय में कहा गया है कि इस तीर्थ में स्नान करने से मनुष्य को एक हजार गाय दान करने के समान फल मिलता है। आगे कहा गया है कि जो मनुष्य पणिश्वर तीर्थ में पितृ-तर्पण करता है,वह राजसूर्य यज्ञ के फल का उपयोग करता है।


इस पणिश्वर तीर्थ पर वर्तमान में श्री हनुमा जी का व्य मंदिर है जिसमें जरंगबली की सुदं प्रतिमा है। सके अतिरिक्त च्चे तीर्थ को पक्का करने में काम भी किया जा रहा है
पाठकों से :-
साथियों , पिछले दो सन्देशों में आप दो तीर्थों के बारे में पढ़ चुके हैं । हालांकि इस प्रकार के लेख आपके लिए जारी रहेंगे पर तीर्थ शब्द का अर्थ और अभिप्राय जानना भी आवश्यक प्रतीत होता है। अतः आपके लिए अगला लेख होगा - '' तीर्थ क्या है'' ।

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