शुक्रवार, 5 नवंबर 2010

शुभ दीपावली

सूरज की आभा से 
आगाज़ हो चुका है
रोशन ज़माना 
चहुं ओर हो चुका है
है दीवाली की सुबह
सब ओर इक उमंग है
आज हर दिल 
बना इक पतंग है
दिन खुशनुमा है
रात भी खास होगी
हर दीये की अंधेरे से
कड़ी जंग होगी
मां लक्ष्मी भी 
मेहरबान होंगी
खुशियों की भरपूर 
बरसात होगी 
फिर आयेगी 
दुनिया में खुशहाली
ना वैर-भाव की
कोई बात होगी
क्या तेरी क्या मेरी
आज 'हम' की बात होगी
है तेरी भी दुनिया
है मेरी भी दुनिया
प्रगति और सद्भाव की
शुरुआत होगी॥

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