शनिवार, 19 जून 2010

प्रीत

मेरे मीत
मेरे तन में
बसे मन से
तुम्हारी प्रीत
कुछ ऎसी 
होती है प्रतीत
जैसे तम से भरे
मेरे मन में
जला कर रख दिया हो
किसी ने कोई दीप
वैसे भी
मेरे मन पर 
तुम्हारी जीत
कुछ ऎसी ही है
जैसे हो कोई
जगत की रीत
या फिर
गहरी अंधेरी रात के बाद
नव-प्रभात
जैसे फूल में सुगंध
मेहंदी में लाल रंग
मधु में मकरंद
कुछ इसी तरह हो
तुम मेरे संग-संग॥

मंगलवार, 15 जून 2010

अपनी अहमियत है

जिन्दगी में प्यार की
बसंत में बहार की
गीता के सार की
अपनी अहमियत है |


बागों में फूलों की
मेले में झूलों की
जीवन में उसूलों की
अपनी अहमियत है |


तरकश में तीर की
भोजन में खीर की
तरलों में नीर की
अपनी अहमियत है |


युद्ध में वीरों की
गणित में जीरो की
फ़िल्म में हीरो की 
अपनी अहमियत है |


दिनों में इतवार की
दोस्ती में  ऐतबार की
काव्य में अलंकार की
अपनी अहमियत है |


जेवरों में शाइन की
पार्टी में वाइन की
जंगल में लायन की
अपनी अहमियत है |


फूलों में गुलाब की
रातों में ख्वाब की
दफ्तर में साहब की
अपनी अहमियत है |


रसों में श्रृंगार का
आभूषणों में हार का
मुंह में लार की
अपनी अहमियत है |


त्योहारों में दीवाली की
शहरों में बरेली की
मकानों में हवेली की
अपनी अहमियत है |


मेरे लिए आपकी
हर पल साथ की
दिल की बात की
अपनी अहमियत है ||

शनिवार, 5 जून 2010

समस्या

उस दिन
अचानक
नेता जी ने
अपने सहयोगियों की
एक सभा बुलायी
उनके सामने
अपनी समस्या बतायी
वे बोले,
दोस्तो मेरे साथ
धोखा हुआ है
एक दलाल ने
भर्ती का
मेरा हिस्सा
मार लिया है
अब तुम ही बताओ
उसका
क्या हाल किया जाए
मार दिया जाए
कि छोड़ जाए।

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