प्रिय पाठकों
एक तरफ जापान सुनामी के प्रभावों से जूझ रहा है और दूसरी तरफ होली का रंगीन त्योहार । अजीब कशमकश के बीच इस होली पर सभी के लिए ईश्वर से शुभ कामना करते हुए जापान की स्थिति पर अपनी कोमल भावनाएं प्रस्तुत कर रहा हूं :-
विधि ने अत्याचार किया
तनिक दया नहीं आयी
मलबे में दबे अभिभावक
औलाद बाहर खड़ी संकुचाई
आंखों से सूखा नीर
प्रलय धरा पर आई
देखने को गए तरस
मानव को मानव भाई
भवन भये हैं ढेर धरा पर
विस्मित दुनिया सारी
ऎसे लगने लगा सभी को
हो नाराज़ प्रकृति भारी
अब भी होता है मन में
सोच-सोच कर कंपन
लगता जैसे बहा जा रहा
मानवता का तन-मन ॥