उस दिन
उसने
मुझसे कहा कि
मैं कुत्ता बनना चाहता हूं
वही कुत्ता
बेबी की गोद में
बैठा दुम हिलाता है
गाड़ी में घूमने जाता है
दूध और बिस्किट का
नाश्ता पाता है
गली का नहीं
साहब का कुत्ता
कहलाता है।
"वसुधैव कुटुम्बकम्" की परिकल्पना
amansandesh.blogspot.com |
24/100 |
4 Comments:
Kisne kaha Sharma ji?
Ha ha ha......
आशीष भाई,आपने पूछा है तो बता देते हैं -
एक रिक्शा वाला था जो दिनभर मेहनत कर अपने परिवार का........
सही कहते हैं हमारे बेटे के पास भी एक कुत्ता है य़हां उसकी डॉक्टर की अपॉइन्टमेन्ट होती है । उसका खाना अलग आता है । मेरा बेटा कहता है जितना खर्चा मेरी डॉक्टर बनने तक की पढाई में हुआ ुतना तो िस कुत्ते पर मै ६ माह में खर्च कर चुका हूँ । अपनी अपनी किस्मत है ।
सच कहा साहब का कुत्ता ऐसा ही होता है....
regards
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