शुक्रवार, 5 जून 2009

रस मंगल तीर्थ (सौंगल)

कैथल से पूर्व-दक्षिण दिशा में 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है गांव सौंगल। एक जनश्रुति के अनुसार ब्रह्मा जी ने यहां देवताओं को सोमरस का पान करवाया था। सोमरस प्रदान करने के लिए जिस यज्ञ का आयोजन किया था। वह यज्ञ स्थल आज भी पांच एकड़ भूमि में फैला हुआ है। ऐसा माना गया है कि यहां 6 रसों की उत्त्पति हुई थी। एक अन्य लोकमान्यता के अनुसार वामन भगवान की स्थली है सौंगल। इस तीर्थ के विषय में महाभारत में लिखा है कि -
ततो वामनकं गच्छेत् त्रिषु लोकेषु विश्रुतम्।
तत्र विष्णुपदे स्नात्वा अर्चयित्वा वामनम्।

सर्वपापविशुद्धात्मा विष्णलोकमवानुयात।

(महाभारत वनपर्व 83/103/104)
अर्थात् ‘‘तदन्तर तीनों लोकों में प्रसिद्ध वामन नामक तीर्थ में जाना चाहिए। वहां विष्णुपद में स्नान करके भगवान वामन की आराधना करने वाला मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है और मुक्त होने पर बैकुण्ठ धाम को चला जाता है।’’

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