शनिवार, 23 मई 2009

अरन्तुक यक्ष स्थल-बहर

पंजाब और हरियाणा दोनों का मिला-जुला सांस्कृतिक स्थान है-बहर। यह पटियाला से 40 किलोमीटर और कैथल से उतर पश्चिम में 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
कुरूक्षेत्र की 48 कोस की पवित्र भूमि के चारों दिशाओं में 4 यक्ष बताए गए हैं। जिनमें से अरन्तुक यक्ष एक है। जो बहर में स्थित माना जाता है । निर्धारित चारों द्वारपालों में से इसका अधिक महत्व माना गया है। द्वारपालों को तरन्तुक, अरन्तुक, रामह्रद तथा मचक्रुक यक्ष के नाम से जाना जाता है। इसका वर्णन महाभारत के वनपर्व तथा शल्यपर्व में किया गया है:-
तरंतुकारंतुकयोः यदंतरंरामहृदानां च मचक्रुकस्य च ।
एतत् कुरूक्षेत्रसमंतपंचकं पितामहस्योत्तरवेदिरूच्यते।।

(महाभारत,वन पर्व 83/208 शल्य पर्व, 53/24)
जैसा कि उपरोक्त पंक्तियों में वर्णन है तद्नुसार अरन्तुक यक्ष बहर में स्थित है। यक्ष शब्द से कुबेर का अर्थ लिया जाता है। क्योंकि कुबेर धन के देवता है। इसलिए ऐसा माना गया है कि ये चारों यक्ष भी द्वारापालों के समान इस क्षेत्र की सख और समृद्वि के यह रक्षक है। इस स्थान परस्नान करने से मानव को अग्निष्टोम का फल प्राप्त होता है।
बहर नामक गांव में उतर पश्चिम में स्थापित पूर्ण परिसर में कई देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। जिनमें से भगवान विष्णु की मध्यकालीन प्रतिमा विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।यह मूर्ति बालुका पत्थर से बनाई गई है। चैत्र अमावस्या के दिन यहां विशाल मेले का आयोजन होता है। जिसमें हरियाणा और पंजाब के लोग बढ-चढ़ कर भाग लेते हैं। ऐसा माना गया है कि इन दिनों यहां सरस्वती का वास होता है।

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