हरियाणा के जनपद कैथल से नवारना-हिसार मार्ग पर कैथल से 25 किलोमीटर की दूरी पर कलायत गांव स्थित है। जिसका सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत महत्त्व है। यहां कपिल मुनि नाम से एक प्रसिद्ध तीर्थ है। जिसका शास्त्रों में भी उल्लेख किया गया है। यहां कपिल अवतार की मूर्ति है तथा साथ में एक तीर्थ है। जिसे कपिल मुनि तीर्थ का नाम दिया गया है। इस तीर्थ के किनारे कात्यायनी मन्दिर, श्री लक्ष्मी नारायण मन्दिर स्थित हैं। इनके अतिरिक्त लगभग 7 वीं शताब्दी में पंचरथ शैली में बना हुआ एक शिव मन्दिर है।जहां प्रत्येक महीने की पूर्णिमा को एवं विशेष रूप से वर्ष में एक बार कार्तिक मास में पूर्णिमा के दिन मेला लगता है। ऐसी मान्यता है कि परमपिता ब्रह्मा के मानस पुत्र कर्दम ऋषि और महाराज मनु की पुत्री देवहुति की 9 कन्याओं के बाद अवतार के रूप में कपिल का दसवें स्थान पर जन्म हुआ था। भागवत के अनुसार तत्त्वों की गणना करने वाले भगवान कपिल लोगों कों आत्मज्ञान का उपदेश देने के लिए स्वयमेव उत्पन्न हुए। इनके द्वारा विरचित ‘तत्त्व समास’ नामक ग्रंथ में सांख्य के 25 तत्त्वों का उल्लेख किया गया है और तत्वों की संख्या के परिगणन के कारण ही यह शास्त्र सांख्य दर्शन कहलाता है।
कपिल मुनि तीर्थ के बारे में एक और किंवदन्ती प्रसिद्ध है जिसमें कहा जाता है कि राजा शल्यवान रात में मृतक के समान हो जाते थे और सुबह वह ठीक हो जाते थे। एक बार शिकार के समय अनजाने में कपिल मुनि तीर्थ में तीर मार बैठे। जब वह इस तीर को निकालने लगे तो उसका हाथ कपिल मुनि तीर्थ की मिट्टी से छू गया। जिससे उनके हाथ की वह अंगुलियां रात भर सक्रिय रहीं जो मिट्टी से छू गई थी। इससे प्रभावित होकर राजा और रानी ने अगले दिन इस तीर्थ में स्नान किया जिससे वह स्वस्थ हो गए।
इसी वजह से राजा शल्यवान ने यहां मन्दिरों का निर्माण करवाया था। उनके समय की एक चौखट आज भी विद्यमान है।
नायक भेदा
9 माह पहले
2 Comments:
अरे वाह... हरियाणा के एक और ब्लागर से भेंट अच्छी लगी.. बढ़िया आलेख के लिये बधाई..
भई वाह्! आज तो आपने घर बैठे हमारे पैतृ्क स्थान के दर्शन करा दिए........बहुत बहुत धन्यवाद
Post a Comment