भक्त शिरोमणि पूण्डरीक का नाम आपने सुना होगा। उन्हीं के नाम से बना है पूण्डरी। यह तीर्थ स्थान पूर्व दिशा में कैथल से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
लोक किंवदन्तियों के अनुसार भक्त पूण्डरीक तपस्या करते करते भगवान के अंश में मिल गए थे। अन्त में उनका निष्पाप शरीर श्याम वर्ण का हो गया तथा 4 भुजाएं और हाथ में शंख, चक्र, गदा और पदम् आ गए थे। स्वयमेव उनके वस्त्र पीले रंग के हो गए और मुख मण्डल तेज से चमकने लगा। जिससे उन्हें पूण्डरीकाक्ष कहा गया तथा भगवान विष्णु उन्हें अपने साथ अपने वाहन गरूड़ पर बैठाकर वैकुण्ठधाम ले गए। शास्त्रों के अनुसार इसी स्थान पर भगवान विष्णु ने अपने नाभी कमल से ब्रह्मा जी को उत्पन्न किया तथा संसार की उत्पति की। इसके विषय में महाभारत के वनपर्व और वामन पुराण में भी उल्लेख है-
शुक्लपक्षे दशम्यां च पुण्डरीकं समाविशेत्।
तत्र सनात्वा नरो राजन्पुण्डरीकफलं लभेत्।।
(महाभारत, वन पर्व 83/85/86)
पौण्डरीके नरः स्नात्वा पुण्डरीकफलं लभेत् ।
दशम्यां शुक्लपक्षस्य चैत्रस्य त विशेषतः।
स्नानं जपं तथा श्राद्धं मुक्तिमार्गप्रदायकम्।।
(वामन पुराण 36/39-40)
इस महान तीर्थ पर सिद्ध बाबा दण्डीपुरी, ग्यारहरूद्री महादेव का छोटा-सा तालाब युक्त मन्दिर, गीता भवन आदि स्थित हैं।
लोक किंवदन्तियों के अनुसार भक्त पूण्डरीक तपस्या करते करते भगवान के अंश में मिल गए थे। अन्त में उनका निष्पाप शरीर श्याम वर्ण का हो गया तथा 4 भुजाएं और हाथ में शंख, चक्र, गदा और पदम् आ गए थे। स्वयमेव उनके वस्त्र पीले रंग के हो गए और मुख मण्डल तेज से चमकने लगा। जिससे उन्हें पूण्डरीकाक्ष कहा गया तथा भगवान विष्णु उन्हें अपने साथ अपने वाहन गरूड़ पर बैठाकर वैकुण्ठधाम ले गए। शास्त्रों के अनुसार इसी स्थान पर भगवान विष्णु ने अपने नाभी कमल से ब्रह्मा जी को उत्पन्न किया तथा संसार की उत्पति की। इसके विषय में महाभारत के वनपर्व और वामन पुराण में भी उल्लेख है-
शुक्लपक्षे दशम्यां च पुण्डरीकं समाविशेत्।
तत्र सनात्वा नरो राजन्पुण्डरीकफलं लभेत्।।
(महाभारत, वन पर्व 83/85/86)
पौण्डरीके नरः स्नात्वा पुण्डरीकफलं लभेत् ।
दशम्यां शुक्लपक्षस्य चैत्रस्य त विशेषतः।
स्नानं जपं तथा श्राद्धं मुक्तिमार्गप्रदायकम्।।
(वामन पुराण 36/39-40)
इस महान तीर्थ पर सिद्ध बाबा दण्डीपुरी, ग्यारहरूद्री महादेव का छोटा-सा तालाब युक्त मन्दिर, गीता भवन आदि स्थित हैं।
1 Comment:
पूण्डरी तो लगभग पचासों बार जाने का अवसर मिला, किन्तु आज तक यहां के तीर्थ स्थल दर्शन का सौभाग्य नहीं मिल् पाया. आपकी पोस्ट नें मन में उत्कंठा जागृ्त कर दी है. अब की बार तो जाना ही पडेगा. धन्यवाद........
Post a Comment