कुरूक्षेत्र से 25 कि0मी0 के दूरी पर उत्तर पश्चिम में एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है पेहवा। कहा जाता है कि सप्त सरस्वतियों में से एक ओघवती सरस्वती कुरूक्षेत्र में प्रवाहित होती है। इस विषय में प्राप्त शास्त्रोक्त जानकारी के अनुसार यहां सरस्वती प्रवाहित होती है। जिसका स्वरूप अब बदल चुका है। इसमें वर्षा ऋतु में ही पानी दिखाई देता है। सरस्वती के बारे में जो जानकारी हमें प्राप्त होती है तदनुसार पता चलता है कि सरस्वती सम्पूर्ण नदियों में श्रेष्ठ एवं पाप नाशक नदी है तथा ब्रह्मलोक से आई है। सप्तसरस्वती का संगम होने के कारण पेहवा में सरस्वती तीर्थ है। इस स्थान को श्राद्ध आदि कर्म के लिए भी विशेष दर्जा दिया गया है तथा संपूर्ण भारत में ही नहीं अपितु विश्व भर से श्रद्धालु श्राद्धकर्म हेतु यहां आते हैं। पृथद्क शब्द से इस स्थान का नाम पेहवा पड़ा है। यहां पर निर्मित सरस्वती तीर्थ में लाखों लोग अमावस्या के अवसर पर स्नान करते हैं तथा पितरों के निमित श्राद्धादि कार्य करते हैं।
शनिवार, 27 जून 2009
सरस्वती तीर्थ (पेहवा)
कुरूक्षेत्र से 25 कि0मी0 के दूरी पर उत्तर पश्चिम में एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है पेहवा। कहा जाता है कि सप्त सरस्वतियों में से एक ओघवती सरस्वती कुरूक्षेत्र में प्रवाहित होती है। इस विषय में प्राप्त शास्त्रोक्त जानकारी के अनुसार यहां सरस्वती प्रवाहित होती है। जिसका स्वरूप अब बदल चुका है। इसमें वर्षा ऋतु में ही पानी दिखाई देता है। सरस्वती के बारे में जो जानकारी हमें प्राप्त होती है तदनुसार पता चलता है कि सरस्वती सम्पूर्ण नदियों में श्रेष्ठ एवं पाप नाशक नदी है तथा ब्रह्मलोक से आई है। सप्तसरस्वती का संगम होने के कारण पेहवा में सरस्वती तीर्थ है। इस स्थान को श्राद्ध आदि कर्म के लिए भी विशेष दर्जा दिया गया है तथा संपूर्ण भारत में ही नहीं अपितु विश्व भर से श्रद्धालु श्राद्धकर्म हेतु यहां आते हैं। पृथद्क शब्द से इस स्थान का नाम पेहवा पड़ा है। यहां पर निर्मित सरस्वती तीर्थ में लाखों लोग अमावस्या के अवसर पर स्नान करते हैं तथा पितरों के निमित श्राद्धादि कार्य करते हैं।
प्रस्तुतकर्ता दिनेश शर्मा पर 9:51 pm 1 टिप्पणियाँ
गुरुवार, 25 जून 2009
जमदग्नि स्थल -जाजनपुर
प्रस्तुतकर्ता दिनेश शर्मा पर 8:27 pm 4 टिप्पणियाँ
मंगलवार, 23 जून 2009
हरिद्वार से आपके लिए
हरिद्वार का भारतीय में एक विशेष स्थान है | हरिद्वार , काशी , इलाहबाद जैसे तीर्थ स्थान किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं | आज आपके लिए प्रस्तुत हैं हरिद्वार से कुछ छायाचित्र एवं हर की पौड़ी का एक चलचित्र । लीजिए आनंद उठाइए -
प्रस्तुतकर्ता दिनेश शर्मा पर 6:26 am 2 टिप्पणियाँ
गुरुवार, 18 जून 2009
पिछले कुछ समय से तीर्थों के बारे में आपको जानकारी दे रहा हूं जिसे भविष्य में जारी रखने का मेरा प्रयास रहेगा | इस सन्दर्भ में अपने अनमोल सुझाव दीजिये तथा मुझ अल्पबुद्धि का मार्गदर्शन करें | आपके सेवार्थ एक और ब्लाग बनाया है : www.preranasandesh.blogspot.com
प्रस्तुतकर्ता दिनेश शर्मा पर 8:27 pm 0 टिप्पणियाँ
बिन्दुसर एवं बंटेश्वर तीर्थ
हरियाणा कैथल से उत्तर-पूर्व में 16 किलोमीटर की दूरी पर बरोट-बन्दराणा दो गांव स्थित है जिनकी परस्पर दूरी एक से डेढ किलोमीटर है। बिन्दूसर तीर्थ दोनों गांव को एक करता है। इस स्थान पर कर्दम ऋषि ने अपनी पत्नी के साथ पुत्र की इच्छा के लिए तपस्या की थी। जिसे भगवान विष्णु की आंखों से जल बिन्दू गिरे थे। उसी स्थान पर यह सरोवर स्थित है। यहां पर विन्धेश्वरी देवी का पूज्य स्थान भी है। बरोट गांव में बटकेश्वर तीर्थ भी है।जिसे बटूकेश्वर महादेव से जोड़ा जाता है। हालांकि कुछ लोग बरोट का सम्बन्ध महर्षि वशिष्ठ से भी जोड़ते हैं।
प्रस्तुतकर्ता दिनेश शर्मा पर 8:25 pm 0 टिप्पणियाँ
बुधवार, 17 जून 2009
कामेश्वर महादेव
प्रस्तुतकर्ता दिनेश शर्मा पर 7:10 am 1 टिप्पणियाँ
हव्य तीर्थ
प्रस्तुतकर्ता दिनेश शर्मा पर 7:05 am 0 टिप्पणियाँ
शुक्रवार, 5 जून 2009
रस मंगल तीर्थ (सौंगल)
ततो वामनकं गच्छेत् त्रिषु लोकेषु विश्रुतम्।
तत्र विष्णुपदे स्नात्वा अर्चयित्वा व वामनम्।
सर्वपापविशुद्धात्मा विष्णलोकमवानुयात।
(महाभारत वनपर्व 83/103/104)
अर्थात् ‘‘तदन्तर तीनों लोकों में प्रसिद्ध वामन नामक तीर्थ में जाना चाहिए। वहां विष्णुपद में स्नान करके भगवान वामन की आराधना करने वाला मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है और मुक्त होने पर बैकुण्ठ धाम को चला जाता है।’’
प्रस्तुतकर्ता दिनेश शर्मा पर 7:21 am 0 टिप्पणियाँ