तेरे आँचल पर लगें दाग
कैसे और क्यूं जिंदा हूँ
शर्मनाक हालात देश में
मात मेरी शर्मिंदा हूँ।।
राष्ट्रभक्ति की परिभाषा
लिखी जाती स्वार्थ से
सबके अपने-अपने स्वार्थ
सरोकार कहाँ है भारत से
लगता है हरपल अब तो
कर सकता बस चिंता हूँ
शर्मनाक हालात देश में
मात मेरी शर्मिंदा हूँ।।
देश के ठेकेदार बने
कुछ कुर्सी के लोलुपों ने
अभिव्यक्ति के नाम पर
लगवाए नारे दिल्ली में
सीना तानकर देशभक्ति की
वे करते बात दिखा दूँ
शर्मनाक हालात देश में
मात मेरी शर्मिंदा हूँ।।
फूट डालो और राज करो
नीति ये फिर अपनाते हैं
महिलाओं के अंगवस्त्र
सड़कों पर पाए जाते हैं
दर्द मेरे सीने में भी है
कैसे विश्वास दिला दूँ
शर्मनाक हालात देश में
मात मेरी शर्मिंदा हूँ।।
जवान शहीद हों सीमा पर
जहाँ भारत माँ की खातिर
हो रहे आरक्षण आंदोलन
वहाँ राष्ट्रद्रोह जग-जाहिर
सीमा पर जो हुआ शहीद
कैसे उसकी माँ को समझा दूँ
शर्मनाक हालात देश में
मात मेरी शर्मिंदा हूँ।।
सारा भारत झुलसा आज
आरक्षण की आग में
सबको अब आरक्षण चाहिए
जाए भारत माँ भाड़ में
मुझे पता है माँ तू रोती
पर, कैसे धीर बंधा दूँ
शर्मनाक हालात देश में
मात मेरी शर्मिंदा हूँ।।
आरक्षण की आंधी का
सब ने लाभ उठाया
कईं दुकानें लूट ले गए
बस्ती का किया सफाया
किसने फूंकी बस और गाड़ी
ढूंढ कहाँ से ला दूँ
शर्मनाक हालात देश में
मात मेरी शर्मिंदा हूँ।।
वीर असंख्य हुए शहीद
तिरंगे की शान में
भूल गए हैं बलिदानों को
हम अपने अभिमान में
जाने कल कैसा हो भारत
आज की करता निंदा हूँ
शर्मनाक हालात देश में
मात मेरी शर्मिंदा हूँ।।
धर्म उपनिषद् और पुराण
रामायण,महाभारत
भूल गए हैं हम सब
सारी परंपराएं उज्ज्वल
राम मोहम्मद यीशु बुद्ध
किसकी याद दिला दूँ
शर्मनाक हालात देश में
मात मेरी शर्मिंदा हूँ।।
--0-0-0--
हिन्दी ब्लॉग टिप्सः तीन कॉलम वाली टेम्पलेट
2 Comments:
दिनेश जी आपने देश में हो रहे भ्रष्टाचार, भारत माँ के वीरों, व देश्प्रेमता का वर्णन किया है.....आपकी इस रचना देशप्रेम व अच्छा इंसान बनने की भावना जागृत होती है......ऐसी ही रचनाओं को अब आप शब्दनगरी की ब्लॉगिंग साईट में लिख सकतें हैं....
I don’t know how should I give you thanks! I am totally stunned by your article. You saved my time. Thanks a million for sharing this article.
Post a Comment