मंगलवार, 26 जनवरी 2010

गणतंत्र सौगात

भारतमाता की संतान , भारत-भू की गोद में पोषित , इसकी
रज में खेल सम्पूर्णता प्राप्त करने वाले ,विश्वमें विभिन्न स्थानों
पर विद्यमान सभी भारतीयों को गणतंत्र की हार्दिक शुभ-कामनाएं |
इस अवसर पर एक साधारण भारतीय के उद्गार
बढ़ रहे हैं बेतहाशा
दाल चीनी के भाव
हो रहे कला-बाजारी
निश दिन माला माल
बेबस अब किसान है
मजबूर है सांझीदार
खून के आंसू रो रहा
मजदूर का परिवार
खैर ,चाहे जो होता रहे
नहीं अपने बस की बात
हालत मांगते अब तो
एक संघर्ष शुरुआत
या स्वीकार करें सादर इसे
मन गणतंत्र सौगात ||



4 Comments:

निर्मला कपिला said...

सही उदगार हैं आज के इन्सान के। गनतंत्र दिवस की शुभकामनायें

Urmi said...

आपको और आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें! बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने!

Smart Indian said...

ख़ूबसूरत रचना. गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ!

roshan jahan said...

lage raho india
mahangai se kyo paresan
ab ki deewali pe milegi
100/- kg sugar & daal

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