बम बारूद और बन्दूक
सोचकर ही
हैरान-सा हो जाता हूँ
लेकिन वह
जो हर रोज
इनके साथ रहता है
अपना जीवन जीता है
कैसे जीता होगा
अँधेरा, अंत और आतंक
जिसके सहचर हैं
दुनिया की मानवता
जिसका निशाना बनी है
जो अंत और आतंक के लिए
अंधेरे का सहारा लेकर
बम, बारूद और बन्दूक के साथ
लालिमा को अपना लक्ष्य बनाकर
आचरण करता है
क्या नाम दूँ उसे
मुल्ला उमर, मसूद अजहर
या फिर
ओसामा-बिन-लादेन
पर , हाँ
जगत उसको
आतंकवाद कहता है |
वादा किया वो कोई और था, वोट मांगने वाला कोई और
1 हफ़्ते पहले