सही कहते हैं हमारे बेटे के पास भी एक कुत्ता है य़हां उसकी डॉक्टर की अपॉइन्टमेन्ट होती है । उसका खाना अलग आता है । मेरा बेटा कहता है जितना खर्चा मेरी डॉक्टर बनने तक की पढाई में हुआ ुतना तो िस कुत्ते पर मै ६ माह में खर्च कर चुका हूँ । अपनी अपनी किस्मत है ।
मैं एक संस्कृत अध्यापक हूँ तथा दिल्ली में कार्यरत हूँ । साहित्य की बात करें तो बताना चाहूंगा कि दो पुस्तकें लिख चुका हूँ जिनमें से एक 'विरासत' नामक पुस्तक हरियाणा सरकार के लोक संपर्क विभाग द्वारा विभाग के पुस्तकालयों के लिए चयनित है। मेरी रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। E.mail:dineshkumarsarma81@gmail.com
Mb.9355891858
4 Comments:
Kisne kaha Sharma ji?
Ha ha ha......
आशीष भाई,आपने पूछा है तो बता देते हैं -
एक रिक्शा वाला था जो दिनभर मेहनत कर अपने परिवार का........
सही कहते हैं हमारे बेटे के पास भी एक कुत्ता है य़हां उसकी डॉक्टर की अपॉइन्टमेन्ट होती है । उसका खाना अलग आता है । मेरा बेटा कहता है जितना खर्चा मेरी डॉक्टर बनने तक की पढाई में हुआ ुतना तो िस कुत्ते पर मै ६ माह में खर्च कर चुका हूँ । अपनी अपनी किस्मत है ।
सच कहा साहब का कुत्ता ऐसा ही होता है....
regards
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