गुरुवार, 8 जुलाई 2010

साहब का कुत्ता

उस दिन
उसने 
मुझसे कहा कि
मैं कुत्ता बनना चाहता हूं
वही कुत्ता
बेबी की गोद में
बैठा दुम हिलाता है
गाड़ी में घूमने जाता है
दूध और बिस्किट का
नाश्ता पाता है
गली का नहीं
साहब का कुत्ता
कहलाता है।

4 Comments:

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

Kisne kaha Sharma ji?
Ha ha ha......

दिनेश शर्मा said...

आशीष भाई,आपने पूछा है तो बता देते हैं -
एक रिक्शा वाला था जो दिनभर मेहनत कर अपने परिवार का........

Asha Joglekar said...

सही कहते हैं हमारे बेटे के पास भी एक कुत्ता है य़हां उसकी डॉक्टर की अपॉइन्टमेन्ट होती है । उसका खाना अलग आता है । मेरा बेटा कहता है जितना खर्चा मेरी डॉक्टर बनने तक की पढाई में हुआ ुतना तो िस कुत्ते पर मै ६ माह में खर्च कर चुका हूँ । अपनी अपनी किस्मत है ।

seema gupta said...

सच कहा साहब का कुत्ता ऐसा ही होता है....
regards

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