बिना किसी हलचल के
स्वार्थ रुपी
लक्ष्य के प्रति
एकदम सचेत
आज का आदमी
बगुले के समान
योगी है
जो शिकार का
इंतजार करता है
और जैसे ही
शिकार नजर आता है
उसे उछालकर
तुरंत निगल जाता है।
बस एक पूड़ी और लीजिए हमारे कहने से
1 हफ़्ते पहले
"वसुधैव कुटुम्बकम्" की परिकल्पना
2 Comments:
Aadami ki jaat aaj ban gayi hai andheri raat.
bach kar rahana kahi bakaboo na ho jaya jajbat.
kabi Dil machal jaya to hame yaad karna .
kabi aadmi ki jaat par bura coment na karna.
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