उस दिन
उसने
मुझसे कहा कि
मैं कुत्ता बनना चाहता हूं
वही कुत्ता
बेबी की गोद में
बैठा दुम हिलाता है
गाड़ी में घूमने जाता है
दूध और बिस्किट का
नाश्ता पाता है
गली का नहीं
साहब का कुत्ता
कहलाता है।
"वसुधैव कुटुम्बकम्" की परिकल्पना
प्रस्तुतकर्ता दिनेश शर्मा पर 5:46 pm 4 टिप्पणियाँ
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