रविवार, 12 नवंबर 2017

फल्गु तीर्थ का महत्त्व

https://youtu.be/Fz4T4Ow8lSA

गुरुवार, 19 अक्तूबर 2017

दीये चंद जला देना


दीपावली के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं और यह काव्यात्मक पंक्तियां जो मित्रों के साथ शेयर करें ताकि हम एक सांस्कृतिक अभियान शुरू कर सकें।

रोज रात को कंगूरे पर, तुम दीये चंद जला देना ।
है जिनसे अस्तित्व हमारा,उनको शीश नवा लेना ।।

दीया जले माट्टी की खातिर, जिसने हमें बनाया है।
जिसकी सौंधी खुशबू ने, सांसों को महकाया है।।
आने वाली पीढ़ी को तुम, माट्टी का मान बता देना।
है जिनसे अस्तित्व . . . . . . . . . . . . . . . . . ।।

सदा संस्कृति सागर को, याद किया कर लेना तुम ।
मिटने न पाए संस्कृति, काम करो कुछ ऐसे तुम ।।
दीया उज्ज्वल संस्कृति का, रात को एक सजा लेना ।
है जिनसे अस्तित्व . . . . . . . . . . . . . . . . . . . ।।

बड़े-बुजुर्गों को नतमस्तक, करना नमन जरूरी है ।
उनके संस्कारों,आभारों का, रहना कृतज्ञ जरूरी है ।।
है इस ऋण से कौन उऋण, बात जरा समझा देना ।
है जिनसे अस्तित्व . . . . . . . . . . . . . . . . . . ।।

मात-पिता का दर्जा तो, है दुनिया में सबसे बढ़कर ।
पालक,पोषक,मार्गदर्शक, सदा वे ही हैं सबसे बेहतर ।।
जीवन तुझ पर वार दिया, दिल उनका न दुःखा देना ।
है जिनसे अस्तित्व . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .।।

मुक्त गगन, स्वछंद वतन में, जो तुम आनंद लूट रहे ।
बलिदानों का प्रतिफल उनके, जो फांसी पर झूल गये ।
भगत,राजगुरु,रानी झांसी, बच्चों को बतला देना ।
है जिनसे अस्तित्व . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .  ।।

छोड़ मात-पिता बीवी बच्चे, जा सरहद डेरा डाला ।
मातृभूमि पर जिसने सारा, जीवन अपना था वारा ।।

है सम्मान शहादत का कितना, दीयों से दिखला देना ।
है जिनसे अस्तित्व . . . . . . . . . . . . . . . . . . . ।।

सरदार,शास्त्री के वंशज, कलाम ने हमें सिखाया है ।
जन्मभूमि से बढ़कर स्वर्ग, कभी जाता नहीं बताया है।।
ऐसे गुरुओं की खातिर भी, दीये जरूर सजवा देना ।
है जिनसे अस्तित्व . . . . . . . . . . . . . . . . . . ।।

जलने वाला हर इक दीया, मंदिर जैसा ही होगा।
करने पर जो दे सुकून , काम ये वैसा ही होगा ।।
घर-घर सारे दीप जलाएं, इच्छा यही जता देना।
है जिनसे अस्तित्व . . . . . . . . . . . . . . . . ।।

रोज रात को कंगूरे पर, तुम दीये चंद जला देना ।
है जिनसे अस्तित्व हमारा, उनको शीश नवा लेना ।।
   
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मंगलवार, 15 अगस्त 2017

मैं भारत का वंशज हूं

मैं भारत का वंशज हूं
स्वाभिमान से गदगद हूं
गौरवशाली हैं परंपराएं 
देख संस्कृति पुलकित हूं

सृष्टि के आदि से ही है
गौरवशाली यह देश धरा
वेद पुराण और उपनिषद्
सबने मार्ग प्रशस्त किया
रामायण महाभारत से
सदा होता रहा प्रेरित हूं
मैं भारत का वंशज हूं
स्वाभिमान से गदगद हूं

दुनिया को मानवता का
संदेश जहां से जाता है
माना सारी दुनिया को
परिवार यहां पर जाता है
सादा जीवन उच्च विचार
कर देता आह्लादित है
मैं भारत का वंशज हूं
स्वाभिमान से गदगद हूं

भारत सोने की चिड़िया
दुनिया में कहलाता था
विश्व गुरु की उपमा से
जिसको जाना जाता था
उस ज्ञान सरोवर का चिंतन,
कर मंत्रमुग्ध हो जाता हूं
मैं भारत का वंशज हूं
स्वाभिमान से गदगद हूं

लाखों आए हथियार लिए
खूब किए प्रयास गए
फिर भी भारत जिंदा है
हजारों साल बीत गए
नमन है ऐसी दृढ़ता को
हो जाता नतमस्तक हूं
मैं भारत का वंशज हूं
स्वाभिमान से गदगद हूं ।
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भारत के 71वें स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं । वन्दे मातरम् । जय हिंद।
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रविवार, 2 जुलाई 2017

पितृ देवो भव

मात्र जन्म दाता नहीं
वरन ईश्वर का
एक अहसास है
पिता
सुखद जीवन के लिए
जीवन पर्यन्त
मखमली आभास है
पिता
कुदरत द्वारा प्रदत्त
सुरक्षा और प्रगति का
एक विश्वास है
पिता
पितृ देवो भव
सच है चूंकि
जीवन के लिए
एक वरदान है
पिता ।।

शुक्रवार, 25 मार्च 2016

मात मेरी शर्मिंदा हूँ

                  तेरे आँचल पर लगें दाग
                  कैसे और क्यूं जिंदा हूँ
                  शर्मनाक हालात देश में
                  मात मेरी शर्मिंदा हूँ।।

                  राष्ट्रभक्ति की परिभाषा
                  लिखी जाती स्वार्थ से
                  सबके अपने-अपने स्वार्थ
                  सरोकार कहाँ है भारत से
                  लगता है हरपल अब तो
                  कर सकता बस चिंता हूँ
                  शर्मनाक हालात देश में
                  मात मेरी शर्मिंदा हूँ।।

                  देश के ठेकेदार बने
                  कुछ कुर्सी के लोलुपों ने
                  अभिव्यक्ति के नाम पर
                  लगवाए नारे दिल्ली में
                  सीना तानकर देशभक्ति की
                  वे करते बात दिखा दूँ
                  शर्मनाक हालात देश में
                  मात मेरी शर्मिंदा हूँ।।

                  फूट डालो और राज करो
                  नीति ये फिर अपनाते हैं
                  महिलाओं के अंगवस्त्र
                  सड़कों पर पाए जाते हैं
                  दर्द मेरे सीने में भी है
                 कैसे विश्वास दिला दूँ
                 शर्मनाक हालात देश में
                 मात मेरी शर्मिंदा हूँ।।

                 जवान शहीद हों सीमा पर
                 जहाँ भारत माँ की खातिर
                 हो रहे आरक्षण आंदोलन
                 वहाँ राष्ट्रद्रोह जग-जाहिर
                 सीमा पर जो हुआ शहीद
                 कैसे उसकी माँ को समझा दूँ
                 शर्मनाक हालात देश में
                 मात मेरी शर्मिंदा हूँ।।

                 सारा भारत झुलसा आज
                 आरक्षण की आग में
                 सबको अब आरक्षण चाहिए
                 जाए भारत माँ भाड़ में
                 मुझे पता है माँ तू रोती
                 पर, कैसे धीर बंधा दूँ
                 शर्मनाक हालात देश में
                 मात मेरी शर्मिंदा हूँ।।

                 आरक्षण की आंधी का
                 सब ने लाभ उठाया
                 कईं दुकानें लूट ले गए
                 बस्ती का किया सफाया
                 किसने फूंकी बस और गाड़ी
                 ढूंढ कहाँ से ला दूँ
                 शर्मनाक हालात देश में
                 मात मेरी शर्मिंदा हूँ।।

                 वीर असंख्य हुए शहीद
                 तिरंगे की शान में
                 भूल गए हैं बलिदानों को
                 हम अपने अभिमान में
                 जाने कल कैसा हो भारत
                 आज की करता निंदा हूँ
                 शर्मनाक हालात देश में
                 मात मेरी शर्मिंदा हूँ।।

                 धर्म उपनिषद् और पुराण
                 रामायण,महाभारत
                 भूल गए हैं हम सब
                 सारी परंपराएं उज्ज्वल
                 राम मोहम्मद यीशु बुद्ध
                 किसकी याद दिला दूँ
                 शर्मनाक हालात देश में
                 मात मेरी शर्मिंदा हूँ।।

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